थोड़ी सर्दी ज़रा सा नज़ला है
शायरी का मिज़ाज पतला है,
सुनने वालों का कुछ क़ुसूर नहीं
नया शायर बेचारा हकला है,
देखिए तो सभी बराबर है
सोचिए तो अजीब घपला है,
प्यार करते भी हैं नहीं भी हैं
दिल इसी बात पर तो मचला है,
अब यहाँ कोई भी नहीं आता
दोस्तों ने ठिकाना बदला है,
आओ अल्वी मज़े करा लाएँ
यार इस शहर में भी चकला है..!!
~मोहम्मद अल्वी