किस क़दर ज़ुल्म ढाया करते थे

किस क़दर ज़ुल्म ढाया करते थे
ये जो तुम भूल जाया करते थे,

किस का अब हाथ रख के सीने पर
दिल की धड़कन सुनाया करते थे,

हम जहाँ चाय पीने जाते थे
क्या वहाँ अब भी आया करते थे ?

कौन है अब कि जिस के चेहरे पर
अपनी पलकों का साया करते थे ?

क्यों मेरे दिल में रख नहीं देते
किस लिए ग़म उठाया करते थे ?

फ़ोन पर गीत जो सुनाते थे
अब वो किस को सुनाया करते थे ?

आख़िरी में इस को लिखा है
तुम मुझे याद आया करते थे,

किस क़दर ज़ुल्म ढाया करते थे
ये जो तुम भूल जाया करते थे..!!

~वसी शाह

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