वो मुस्कुरा के जिधर से निकल गए होंगे
निगाह ए शौक़ में आँसू मचल गए होंगे,
गुज़र के होश की मंज़िल से तेरे दीवाने
जुनूँ की हद से भी आगे निकल गए होंगे,
बुतान ए दहर के वादे ग़लत सही लेकिन
हज़ार हा दिल ए नादाँ बहल गए होंगे,
जो हमसफ़र सर ए मंज़िल नज़र नहीं आते
जुनून ए शौक़ में आगे निकल गए होंगे,
शब ए फ़िराक़ से घबरा गए थे दीवाने
तलाश ए सुब्ह से घर से निकल गए होंगे,
एक इंक़लाब से आलम गुज़र रहा है शमीम
मुझे यक़ीन है वो भी बदल गए होंगे..!!
~शमीम करहानी
















