मेरी जैसी उस की हालत कब होगी
उस को जाने मुझ से मोहब्बत कब होगी
उस के लिए मैं ख़ुद से लड़ता रहता हूँ
उस के दिल को उस से अदावत कब होगी
सब से हँस के मिलती है वो जब देखो
वो मेरी ही सिर्फ़ अमानत कब होगी
उस के नाम से कितना मैं बदनाम हुआ
वो रुस्वा अब मेरी बदौलत कब होगी
मैं उस की चाहत में कितना टूटा हूँ
अब उस को भी मेरी हसरत कब होगी
मुझ को नज़र अंदाज़ वो करती रहती है
उस की जैसी मेरी आदत कब होगी
हाल ए दिल अशआर में उसको कहना है
दिल महफ़िल में उस की सदारत कब होगी
मुझको उस से ख़ूब शिकायत है लेकिन
उसको जाने मुझ से शिकायत कब होगी
उसका नाम मैं लेता रहता हूँ हर दम
मेरे नाम की उस से तिलावत कब होगी ??
~इरशाद अज़ीज़