अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए
उनकी गली गए तो ख़रीदार बिक गए,
लगने लगी हैं मुझ से भी नाक़स की बोलियाँ
यानि जहाँ के सारे ही शहकार बिक गए,
जिसने हमें ख़रीदा मुनाफ़ा कमा लिया
अपना है ये कमाल कि हर बार बिक गए,
अंजाम ये नहीं था कहानी का असल में
क्या कीजिए कि बीच में किरदार बिक गए,
जंगल की धूप में भी न साया हमें मिला
क़ीमत लगी तो देखिये अश्जार बिक गए,
इतना तो फ़र्क है चलो अपनों में गैर में
अपने थे शर्मसार, मगर यार बिक गए,
मत पूछ उनका बिकते मुहब्बत के मोल जो
रोये तमाम उम्र कि बेकार बिक गए..!!