मेरी मुहब्बत मेरे जज़्बात सिर्फ़ तुम से हैं
मेरे हमदम मेरी क़ायनात सिर्फ तुम से हैं,
गैर महरम से पूछने का हक़ नहीं रखता
मेरे सवालात मेरे जवाबात सिर्फ़ तुम से हैं,
तुम को मालुम नहीं मेरी तन्हाई का दुःख
मेरी हर फिक्र मेरे ख्यालात सिर्फ़ तुम से हैं,
तुम सामने हो तो मुक़द्दर पे हुकुमत अपनी
मेरे हर रिश्ते की सौगात फक़त तुम से है,
गर कभी बिखर जाऊँ तो समेट लेना मुझ को
है मुक़म्मल जो ये मेरी ज़ात सिर्फ़ तुम से है..!!