यूँ ही हर बात पे हँसने का बहाना आये
फिर वो मासूम सा बचपन का ज़माना आये,
काश ! लौटे मेरे पापा भी खिलौने ले कर
काश फिर से मेरे हाथो में खज़ाना आये,
काश ! दुनियाँ की भी फ़ितरत हो मेरी माँ जैसी
जब मैं बिन बात के रूठूँ तो मनाना आये,
हमको क़ुदरत ही सीखा देती है कितनी बातें
काश ! उस्तादों को भी क़ुदरत सा पढ़ाना आये,
आह ! सहसा कभी स्कूल से छुट्टी जो मिले
चीख कर बच्चो का वो शोर मचाना आये,
आज बचपन कही बस्तों में ही उलझा है
काश ! फिर वो तितली को पकड़ना वो उड़ाना आये..!!