ये नूर उतरेगा आख़िर ग़ुरूर उतरेगा
जनाब उतरेगा बंदा हुज़ूर उतरेगा,
जो चढ़ गया है वो ऊपर नहीं निकलने का
उतर ही जाएगी फिर वो ज़ुरूर उतरेगा,
ज़मीन सोख़्ता सामाँ है ख़ाक कर देगी
नशा गुमान तकब्बुर सुरूर उतरेगा,
वजूद पञ्चमहाभूत में उतर लेगा
हुनर उलूम अदा का उबूर उतरेगा,
ख़ला में ताहिर ए दरमादा बोलता होगा
जहाँ सवाब रुकेंगे क़ुसूर उतरेगा..!!
~संजय चतुर्वेदी