ये न पूछो कि कैसा ये हिन्दुस्तान होना चाहिए

ये न पूछो कि कैसा ये हिन्दुस्तान होना चाहिए
खत्म पहले मज़हब का घमासान होना चाहिए,

इन्सान को अब तक मयस्सर नहीं इंसा होना
अब तो मयस्सर इन्सान को इन्सान होना चाहिए,

गर तुम चाहते हो कि ये वतन ये हिन्दुस्तान न मरे
तो यहाँ न कोई हिन्दू, न मुसलमान होना चाहिए,

ज़मीं पे मुश्किलों के सिवा कुछ भी दिखता ही नहीं
इतनी बड़ी ज़मीं पे कुछ तो आसान होना चाहिए,

मुहब्बत तो दुनियाँ में किसी को भी मिल सकती है
दिल में बस प्यार का एक तूफान होना चाहिए,

सदियों से इन्सान ज़मीं पर कभी बैठा ही नहीं
थोड़ा तो इस ज़मीं पे भी आसमान होना चाहिए,

ईद मुस्लिम नहीं होती न होली हिन्दू होती है
सबकी इज्ज़त अपने का स्वाभिमान होना चाहिए..!!

~दर्पन कानपुरी

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