ये जो हासिल हमें हर शय की फ़रावानी है

ये जो हासिल हमें हर शय की फ़रावानी है
ये भी तो अपनी जगह एक परेशानी है,

ज़िंदगी का ही नहीं ठोर ठिकाना मालूम
मौत तो तय है कि किस वक़्त कहाँ आनी है,

कोई करता ही नहीं ज़िक्र वफ़ादारी का
इन दिनों इश्क़ में आसानी ही आसानी है,

कब ये सोचा था कभी दोस्त कि यूँ भी होगा
तेरी सूरत तेरी आवाज़ से पहचानी है,

चैन लेने ही नहीं देती किसी पल मुझको
रोज़ ए अव्वल से मेरे साथ जो हैरानी है,

ये भी मुमकिन है कि आबादी हो इससे आगे
ये जो ता हद्द ए नज़र फैलती वीरानी है,

क्यूँ सितारे हैं कहीं और कहीं आँसू हैं
आँख वालों ने यही रम्ज़ नहीं जानी है,

तख़्त से तख़्ता बहुत दूर नहीं होता है
बस यही बात हमें आप को बतलानी है,

दोस्त की बज़्म ही वो बज़्म है ‘अमजद’ कि जहाँ
अक़्ल को साथ में रखना बड़ी नादानी है..!!

~अमजद इस्लाम अमजद

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women