वो लोग जो कुछ रोज़ जवानी में मिलेंगे
हर शाम वो फिर तेरी कहानी में मिलेंगे,
ढूँढो न हमें दुनियाँ की रंगीन फिज़ा में
हम जैसे किसी याद पुरानी में मिलेंगे,
हालात की तपती हुई दोपहर में बिछड़े
ये तय है किसी शाम सुहानी में मिलेंगे,
दावा नहीं, उम्मीद नहीं, रखते यक़ीन है
हम फिर से इसी कूचा ए फ़ानी में मिलेगें,
मिलना है गर हमसे तो पढ़ लीजिये हमको
हम जैसे तेरी आँख के पानी में मिलेंगे..!!