वो है बहुत हसीन और फिर उर्दू बोला करती है

वो है बहुत हसीन और फिर उर्दू बोला करती है
मेरे घर के सामने छत पर अक्सर टहला करती है,

मेरे शेरो की दीवानी है वो ग़ज़लें पढ़ा करती है
अपने माज़ी की सोचों में ठंडी आहें भरती रहती है,

जवानी की उम्र है और शौक़ हैं सारे बुजुर्गो वाले
अज़ब सी पागल लड़की है तारीफ़ों से डरती रहती है,

मैं उसके दीदार की खातिर घंटो छत पर रहता हूँ
एक किताब है मीर की वो उसको पढ़ती रहती है,

दिल में उसके भी हलचल है पर कहने से डरती है
पागल मेरे मिज़ाज से मुख्तलिफ़ है फिर भी अच्छी लगती है..!!

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