वफ़ादारों पे आफ़त आ रही है
मियाँ ले लो जो क़ीमत आ रही है,
मैं उस से इतने वादे कर चुका हूँ
मुझे इस बार ग़ैरत आ रही है,
न जाने मुझ में क्या देखा है उस ने
मुझे उस पर मोहब्बत आ रही है,
बदलता जा रहा है झूठ सच में
कहानी में सदाक़त आ रही है,
मेरा झगड़ा ज़माने से नहीं है
मेरे आड़े मोहब्बत आ रही है,
अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता
वो देखो एक औरत आ रही है,
मुझे उस की उदासी ने बताया
बिछड़ जाने की साअत आ रही है,
बड़ों के दरमियाँ बैठा हुआ हूँ
नसीहत पर नसीहत आ रही है..!!
~शकील जमाली