उसकी ख़ातिर रोना हँसना अच्छा लगता है

उसकी ख़ातिर रोना हँसना अच्छा लगता है
जैसे धूप में बारिश होना अच्छा लगता है,

ख़्वाब की कच्ची मलमल में जब आँखें लिपटी हों
यादें ओढ़ के सोते रहना अच्छा लगता है,

साँझ सवेरे खुलते हैं जब तीतरियों के पर
उस मंज़र में मंज़र होना अच्छा लगता है,

बारिश आ कर बरस रहेगी मौसम आने पर
फिर भी अपना दर्द छुपाना अच्छा लगता है,

बादल ख़ुश्बू और जोगी से आख़िर कौन कहे
मुझे तुम्हारा आना जाना अच्छा लगता है..!!

~फ़रहत ज़ाहिद

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women