तुम्हे पूजता था दीया वो बुझा दूँ….

तुम्हे पूजता था दीया वो बुझा दूँ
तुम्हारे बिना भी दुनियाँ बसा दूँ,

सुनो इश्क़ में अब यही चाहता हूँ
मुझे तुम भुलाओ तुम्हे मैं भूला दूँ,

अगर है लकीरे तेरे नाम की तो
यही आरज़ू अब इन्हें मैं मिटा दूँ,

कभी तू मिला था इबादत के बदले
यही सोचता हूँ अब दुआ में भूला दूँ,

सारी यादे वो वादे जी दिल में है मेरे
उन्हें एक पल में मैं दिल से हटा दूँ,

मिले जो समन्दर कोई राह में तो
तेरी याद को मैं नदी सा बहा दूँ,

गुमाँ था मुझे कि यही रस्म होगी
वफ़ा ही मिलेगी अगर मैं वफ़ा दूँ,

यही है तमन्ना कि मैं भी तुम्हे अब
दिया है जो तुमने वही बस सिला दूँ,

मेरी ख्वाहिशे बस यही आजकल है
मिले कोई तुमसा तो तुमसे मिला दूँ..!!

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