तुम पे क्या बीत गई कुछ तो बताओ यारो
मैं कोई ग़ैर नहीं हूँ कि छुपाओ यारो,
इन अंधेरों से निकलने की कोई राह करो
ख़ून ए दिल से कोई मिशअल ही जलाओ यारो,
एक भी ख़्वाब न हो जिन में वो आँखें क्या हैं
एक न एक ख़्वाब तो आँखों में बसाओ यारो,
बोझ दुनिया का उठाऊँगा अकेला कब तक
हो सके तुम से तो कुछ हाथ बटाओ यारो,
ज़िंदगी यूँ तो न बाँहों में चली आएगी
ग़म ए दौराँ के ज़रा नाज़ उठाओ यारो,
उम्र भर क़त्ल हुआ हूँ मैं तुम्हारी ख़ातिर
आख़िरी वक़्त तो सूली न चढ़ाओ यारो,
और कुछ देर तुम्हें देख के जी लूँ ठहरो
मेरी बालीं से अभी उठ के न जाओ यारो..!!
~जाँ निसार अख़्तर