तेरे साथ सफ़र मैं कुछ इस तरह करता रहा
दूर हो कर भी महसूस तुम्हे हरदम करता रहा,
मैं किस्से रूहानी मुहब्बत के लिखता ही रहा
मैं हर किस्से में तेरा ही ज़िक्र करता रहा,
प्यार का दरिया मेरे अंदर निरंतर बहता रहा
तेरी मुहब्बत में मैं हर पल सँवरता ही रहा,
तेरा गुस्सा, तेरा दर्द और तेरी नज़र अंदाज़ी
सब सहकर भी मैं तुझ पर ऐतबार करता रहा,
तू हर रोज़ मेरे सपनो में आ मुझे सताता रहा
मैं मुहब्बत का हर गम सहकर मुस्कुराता रहा,
तुम्हे सोचना फ़िर तुम्हे लिखना आदत बन गई
रूहानी किस्सों में मैं तेरे साथ सफ़र करता रहा..!!