तीसरी आँख खुलेगी तो दिखाई देगा
और कै दिन मेरा हमज़ाद जुदाई देगा ?
वो न आएगा मगर दिल ये कहे जाता है
उस के आने का अभी शोर सुनाई देगा,
दिल का आईना हुआ जाता है धुँदला धुँदला
कब तेरा अक्स इसे अपनी सफ़ाई देगा ?
ख़ुश था मैं चेहरे पे आँखों को सजा कर लेकिन
क्या ख़बर थी मुझे कुछ भी न सुझाई देगा,
अपने ही ख़ून में आलूदा किए बैठा हूँ
कौन इस हाथ में अब दस्त ए हिनाई देगा ?
मौत भी दूर बहुत दूर कहीं फिरती है
कौन अब आ के असीरों को रिहाई देगा ?
बेचने निकला हूँ अल्वी मेरा दीवान मगर
जानता हूँ मैं कोई पैसा न पाई देगा..!!
~मोहम्मद अल्वी