मुझे आरज़ू जिसकी है उसको ही ख़बर नहीं
मुझे आरज़ू जिसकी है उसको ही ख़बर नहीं नज़रअंदाज़ कर दूँ ऐसी मेरी कोई नज़र …
मुझे आरज़ू जिसकी है उसको ही ख़बर नहीं नज़रअंदाज़ कर दूँ ऐसी मेरी कोई नज़र …
इश्क़ ने बख्शी है हमें ये सौगात मुसलसल तेरा ही ज़िक्र हमेशा तेरी ही बात …
सीनों में अगर होती कुछ प्यार की गुंजाइश हाथों में निकलती क्यूँ तलवार की गुंजाइश, …
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता दिल उस से मिला जिस …
कितना नादान है वो मेरे दिल ए हाल से ख़ुद का दिल दुखाता है ख़ुद …
उसको जाते हुए देखा था पुकारा था कहाँ रोकते किस तरह वो शख़्स हमारा था …
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था सामने बैठा था मेरे और वो …
नाम लिखते है तेरा और मिटा देते है यूँ इस दिल को मुहब्बत की सज़ा …
लगा जब अक्स ए अबरू देखने दिलदार पानी में बहम हर मौज से चलने लगी …
क्यूँ पत्थर को दिल में बसाए बैठे हो ? वो अपना था ही नहीं जिसे …