क्या शर्त ए मुहब्बत है, क्या शर्त…
क्या शर्त ए मुहब्बत है, क्या शर्त ए ज़माना है ! आवाज़ भी ज़ख़्मी है …
क्या शर्त ए मुहब्बत है, क्या शर्त ए ज़माना है ! आवाज़ भी ज़ख़्मी है …
काँटो का एक मकान मेरे पास रह गया एक फूल सा निशान मेरे पास रह …
उसे बेचैन कर जाऊँगा मैं भी ख़मोशी से गुज़र जाऊँगा मैं भी, मुझे छूने की …
हम प्यास के मारों का इस तरह गुज़ारा है आँखों में नदी लेकिन हाथो में …
ऐ लिखने वाले आख़िर तू ही क्यूँ लिखता है ? है ये दर्द सबको फिर …
अब अपने दीदा ओ दिल का भी ए’तिबार नहीं उसी को प्यार किया जिस के …
दुनिया में यूँ भी हमने गुज़ारी है ज़िन्दगी अपनी कहाँ है जैसे उधारी है ज़िन्दगी, …
संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है एक धुंध से आना है एक …
मर चुका हूँ कई बार फिर भी कई बार मरना है मरने से पहले ज़िन्दगी …