वो सर फिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे
वो सर फिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे मैं आख़िरी चराग़ था जलना पड़ा मुझे, …
वो सर फिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे मैं आख़िरी चराग़ था जलना पड़ा मुझे, …
सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले ये जो अब दश्त है दरिया था पहले, …
न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़ है कुछ भी हम में हमारा कहाँ …
चलो वो इश्क़ नहीं चाहने की आदत है पर क्या करें हमें एक दूसरे की …
मेरे दिल में जब कोई मलाल होता है तुम क्या जानो मेरा कैसा हाल होता …
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ, …
शख्सियत ए लख्त ए ज़िगर कहला न सका ज़न्नत के धनी क़दमों को मैं सहला …
ग़मों का सैलाब आया ज़रूर है कुछ खोया तो कुछ पाया ज़रूर है, एक तुम …
लिख लिख के आँसुओं से दीवान कर लिया है अपने सुख़न को अपनी पहचान कर …
जो नेकी कर के फिर दरिया में उसको डाल जाता है वो जब भी दुनिया …