रोग ऐसे भी गम ए यार से लग जाते है…

rog aise bhi gam e yaar se lag jate hai

रोग ऐसे भी गम ए यार से लग जाते है दर से उठते है तो दीवार से लग

किस्से मेरी उल्फ़त के जो मर्क़ूम है सारे…

qisse meri ulfat ke marqoom hai saare

किस्से मेरी उल्फ़त के जो मर्क़ूम है सारे आ देख तेरे नाम से मौसम है सारे, बस इस

ये इश्क़ पे सब दुनियाँ वाले बेकार की बातें करते है…

ye ishq me sab duniya wale

ये इश्क़ पे सब दुनियाँ वाले बेकार की बातें करते है पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार

कोई नहीं आता समझाने अब आराम से हैं दीवाने…

koi nahi aata samjhaane ab deewane

कोई नहीं आता समझाने अब आराम से हैं दीवाने, तय न हुए दिल के वीराने थक कर बैठ

शिकवा भी ज़फ़ा का कैसे करे एक नाज़ुक सी दुश्वारी है…

shikwa bhi zafa ka kaise kare

शिकवा भी ज़फ़ा का कैसे करे एक नाज़ुक सी दुश्वारी है आगाज़ ए वफ़ा ख़ुद हमने किया था

क़र्ज़ जाँ का उतारने के लिए मैं जीया ख़ुद को मारने के लिए…

karz jaan ka utarne ke liye

क़र्ज़  जाँ का उतारने के लिए मैं जीया ख़ुद को मारने के लिए,   मुझे जलना पड़ा दीये

कौन कहता है शरारत से तुम्हे देखते है…

kaun kahta hai sharart se tumhe dekhte hai

कौन कहता है शरारत से तुम्हे देखते है जान ए मन हम तो मुहब्बत से तुम्हे देखते है,

हिज़्र ए गम क़ुर्ब में तन्हाई रुलाती होगी…

hizr e gam qurb me tanhaai

हिज़्र ए गम क़ुर्ब में तन्हाई रुलाती होगी याद मेरी भी उसे फिर तो सताती होगी, ऐ हवा

तुम्हे न फिर से सताएँगे हम, ख़ुदा हाफिज़…

tumhe fir na satayenge ham khuda hafiz

तुम्हे न फिर से सताएँगे हम, ख़ुदा हाफिज़ कि अब न लौट के आएँगे हम, ख़ुदा हाफिज़, रखेंगे

दिल ने जब जब तुझ पे इंहिसार किया…

dil ne jab jab tujh pe inhisar kiya

दिल ने जब जब तुझ पे इंहिसार किया तुमने ख़ुद को और भी बे ऐतबार किया, तू चल