आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं…
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर …
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर …
तेरे बदन से जो छू कर इधर भी आता है मिसाल-ए-रंग वो झोंका नज़र भी …
एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी गलियों गलियों मुझसे मिलने आये …
वही किस्से है वही बात पुरानी अपनी कौन सुनता है भला राम कहानी अपनी, सितमगर …
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो आँख सच बोलती हैं प्यार छुपाया …
उसे कहना बिछड़ने से मुहब्बत तो नहीं मरती बिछड़ जाना मुहब्बत की सदाकत की अलामत …
नहीं डरता मैं काँटो से मगर फूलो से डरता हूँ चुभन दे जाएँ जो दिल …
कभी याद आऊँ तो पूछना ज़रा अपनी फ़ुर्सत ए शाम से किसे इश्क़ था तेरी …
जान मेरी जान कोई और है बात मेरी मान कोई और है, हो गया हूँ …
सुना है इस मुहब्बत में बहुत नुक़सान होता है, महकता झूमता जीवन गमो के नाम …