मैंने माना कि तुम ज़ालिम नहीं हो मगर
मैंने माना कि तुम ज़ालिम नहीं हो मगर क्या मालूम था कि हम तुमसे डर …
मैंने माना कि तुम ज़ालिम नहीं हो मगर क्या मालूम था कि हम तुमसे डर …
हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे ये ज़िन्दगी तो कोई बद्दुआ …
हर एक शख़्स परेशान ओ दर बदर सा लगे ये शहर मुझको तो यारो कोई …
ज़िन्दगी का बोझ उठाना पड़ेगा गर ज़िन्दा हो तो दिखाना पड़ेगा, लगने लगे जो मसला …
अश्क जब हम बहाने लगते हैं कितने ही गम ठिकाने लगते हैं आईना ले के …
अब ज़िन्दगी पे हो गई भारी शरारतें तन्हाइयो ने छीन ली सारी शरारतें, होंठो के …
वफ़ा ए वादा नहीं वादा ए दिगर भी नहीं वो मुझसे रूठे तो थे लेकिन …
कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ साथ लाया हूँ उसी को जिसे …
तेरे साथ सफ़र मैं कुछ इस तरह करता रहा दूर हो कर भी महसूस तुम्हे …
ज़मी सूखी है और पानी के भी लाले है इन्सान ही आज इन्सान के निवाले …