ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया…
ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया मगर ये दाग़ क्यूँ कर ऐ मह-ए-कामिल पसंद आया, …
ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया मगर ये दाग़ क्यूँ कर ऐ मह-ए-कामिल पसंद आया, …
सुना कर हाल क़िस्मत आज़मा कर लौट आए हैं उन्हें कुछ और बेगाना बना कर लौट आए हैं, …
हाथ उठे जो दुआ को, तो दिल ऐसे रखा ख्वाहिशे बाद में रखी तुझे पहले रखा, वक़्त ने …
दर्द हो, दुःख हो तो दवा कीजिए फट पड़े आसमां तो क्या कीजिए ? नहीं इलाज़ ए गम …
जब लहज़े बदल जाएँ तो वज़ाहते कैसी नयी मयस्सर हो जाएँ तो पुरानी चाहतें कैसी ? वस्ल में …
जब भी तुम चाहो मुझे ज़ख्म नया देते रहो बाद में फिर मुझे सहने की दुआ देते रहो, …
इश्क़ में जान से गुज़रते है गुज़रने वाले मौत की राह नहीं देखते मरने वाले, आखिरी वक़्त भी …
ग़ज़ल का हुस्न है और गीत का शबाब है वो नशा है जिसमे सुखन का वही शराब है …
रात पिघली है तेरे सुरमई आँचल की तरह चाँद निकला है तुझे ढूँढने पागल की तरह, ख़ुश्क पत्तों …
मुझे तन्हाई अपनी अब तुम्हारे नाम करना है बहुत मैं थक चुका हूँ अब मुझे आराम करना है, …