ये विसाल ओ हिज़्र का मसअला तो…

ye visal o hizr ka mas'ala to meri samjh me naa

ये विसाल ओ हिज़्र का मसअला तो मेरी समझ में न आ सका कभी कोई मुझको न पा

हम ग़ज़ल में तेरा चर्चा नहीं होने देते…

gazal me tera charcha nahi hone dete

हम ग़ज़ल में तेरा चर्चा नहीं होने देते तेरी यादों को भी रुस्वा नहीं होने देते, कुछ तो

मेरे थके हुए शानों से बोझ उतर तो गया…

mere thake hue shano se bojh utar to gaya

मेरे थके हुए शानों से बोझ उतर तो गया बहुत तवील था ये दिन मगर गुज़र तो गया,

तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं…

tum pucho aur main naa bataaooun

तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो

दुश्मन मेरी ख़ुशियों का ज़माना ही नहीं था…

dushman meri khushiyo ka zamana hi nahi tha

दुश्मन मेरी ख़ुशियों का ज़माना ही नहीं था तुमने भी कभी अपना तो जाना ही नहीं था, क्या

ज़ख्म ए तन्हाई में ख़ुशबू ए हिना किसकी थी…

zakhm e tanhai me khushboo e hina kiski thi

ज़ख्म ए तन्हाई में ख़ुशबू ए हिना किसकी थी साया दीवार पे मेरा था, सदा किसकी थी ?

कभी राहो में मिली होगी तू…

kabhi raaho me mili hogi tu

कभी राहो में मिली होगी तू तुझे मैंने कभी देखा तो होगा, हर दिल कुछ कहता है इस

सफ़र है धूप का इसमें क़याम थोड़ी है…

safar hai dhoop ka isme qayaam thodi hai

सफ़र है धूप का इसमें क़याम थोड़ी है बला है इश्क़ ये बच्चों का काम थोड़ी है, किसी

तनाव में जब आ जाए तो धागे टूट जाते है…

tanav me jab aaye to dhaage tut jate hai

तनाव में जब आ जाए तो धागे टूट जाते है ज़रा सी बात पर पुराने रिश्ते टूट जाते

अंधेरा ज़ेहन का सम्त ए सफ़र जब खोने लगता है…

andhera zehan ka samt e safar jab khone lagta hai

अंधेरा ज़ेहन का सम्त ए सफ़र जब खोने लगता है किसी का ध्यान आता है उजाला होने लगता