सब गुनाह ओ हराम चलने दो….

सब गुनाह ओ हराम चलने दो
कह रहे है निज़ाम चलने दो,

ज़िद्द है क्या वक़्त को बदलने की
यूँ ही सब बे लगाम चलने दो,

मुफ़्त मरता नहीं तू राहो में
तुझको देते है दाम चलने दो,

हक़ को छोड़ो क़िताब को छोड़ो
हुक्म ए हाकिम से काम चलने दो,

शाह आएँगे शाह जाएँगे
तुम रहोगे सदा गुलाम चलने दो..!!

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