जिस से मिल बैठे लगी वो शक्ल पहचानी हुई

जिस से मिल बैठे

जिस से मिल बैठे लगी वो शक्ल पहचानी हुई आज तक हमसे यही बस एक नादानी हुई, सैकड़ों

मैंने दुनियाँ से, मुझसे दुनियाँ ने

मैंने दुनियाँ से मुझसे

मैंने दुनियाँ से, मुझसे दुनियाँ ने सैकड़ो बार बेवफ़ाई की, आसमां चूमता है मेरे क़दम दाद दीजिए शिकश्तापाई

दिल चाहे कि आज कुछ सुनहरा लिखूँ

दिल चाहे कि आज

दिल चाहे कि आज कुछ सुनहरा लिखूँ मैं ज़ात पे मेरी एक पैरा लिखूँ, मैं लिखूँ हयात सारी

उधर की शय इधर कर दी गई है

उधर की शय इधर

उधर की शय इधर कर दी गई है ज़मीं ज़ेर ओ ज़बर कर दी गई है, ये काली

तुम साथ चले थे तो मेरे साथ चला दिन

tum saath chale the to

तुम साथ चले थे तो मेरे साथ चला दिन तुम राह से बिछड़े थे कि बस डूब गया

न घर है कोई न सामान कुछ रहा बाक़ी

न घर है कोई

न घर है कोई, न सामान कुछ रहा बाक़ी नहीं है कोई भी दुनिया में सिलसिला बाक़ी, ये

किस तवक़्क़ो’ पे क्या उठा रखिए ?

kis tavaqqo pe kya

किस तवक़्क़ो’ पे क्या उठा रखिए ? दिल सलामत नहीं तो क्या रखिए ? लिखिए कुछ और दास्तान

किस को मालूम है क्या होगा नज़र से पहले

किस को मालूम है

किस को मालूम है क्या होगा नज़र से पहले होगा कोई भी जहाँ ज़ात ए बशर से पहले

क़दम रखता है जब रास्तो पे यार आहिस्ता आहिस्ता

qadam rakhta hai jab

क़दम रखता है जब रास्तो पे यार आहिस्ता आहिस्ता तो छट जाता है सब गर्द ओ ग़ुबार आहिस्ता

सवालो के बदले लहज़े ऐसे…

sata le hamko jo dilchaspi hai unhe hamko satane me

सवालो के बदले लहज़े ऐसे कि हमें जानते ही न हो जैसे, मिजाज़ मौसम भी न बदले वो