फ़लक पे कितना उदास कितना तन्हा…
फ़लक पे कितना उदास कितना तन्हा कितना बेकस सा लगा हिलाल ए ईद, हम हुजूम …
फ़लक पे कितना उदास कितना तन्हा कितना बेकस सा लगा हिलाल ए ईद, हम हुजूम …
मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर है रात है तन्हाई है दर्द मेरा हम-सफ़र है रात है …
रवैये मार देते है ये लहज़े मार देते है वही जो जान से प्यारे हैं …
ईद मुबारक़ आगाज़ ईद है, अंज़ाम ईद है, नेक काम ईद है सच्चाई ओ हक़ …
अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ लोगो के जज़्बात बदल जाते है, इंसानों की इन्हें फिक़र नहीं …
कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती हम को अगर मयस्सर जानाँ की …
आये जो वो तो दिल के सब अरमान मचल गएबुझते हुए चिराग़ ए वफ़ा फिर …
राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ए-आम पे आएगाजी का दाग़ उजागर हो कर सूरज को …
पीत करना तो हम से निभाना सजनहम ने पहले ही दिन था कहा ना सजन, …
लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़ कर पल में माह-ए-तमाम हुएहम हर बुर्ज में घटते घटते सुब्ह …