न शब ओ रोज़ ही बदले है न हाल अच्छा है…
न शब ओ रोज़ ही बदले है न हाल अच्छा है किस ब्राह्मण ने कहा था कि ये …
न शब ओ रोज़ ही बदले है न हाल अच्छा है किस ब्राह्मण ने कहा था कि ये …
सब जल गया जलते हुए ख़्वाबों के असर से उठता है धुआँ दिल से निगाहों से जिगर से, …
एक दिन मुल्क के हर घर में उजाला होगा हर शख्स यहाँ सबका भला चाहने वाला होगा, इंसानों …
लोग कैसे है यहाँ के ? ये नगर कैसा है ? उनकी जादू भरी बातों में असर कैसा …
गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में चार दिन, उम्र …
वो दिल की झील में उतरा था एक साअ’त को ये उम्र हो गई है सहते इस मलामत …
ग़ैरत ए इश्क़ सलामत थी अना ज़िंदा थी वो भी दिन थे कि रह ओ रस्म ए वफ़ा …
उसे हम पा ही लेते बस ज़रा सा और चलते तो सफ़र आसान था लेकिन ज़रा रस्ते संभलते …
तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की ? …
सहमा सहमा डरा सा रहता है जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है, काई सी जम गई है …