इसी चमन में ही हमारा भी एक ज़माना था…
इसी चमन में ही हमारा भी एक ज़माना था यहीं कहीं कोई सादा सा आशियाना …
इसी चमन में ही हमारा भी एक ज़माना था यहीं कहीं कोई सादा सा आशियाना …
आदमी आदमी से मिलता है दिल मगर कम किसी से मिलता है, भूल जाता हूँ …
आँखों का था क़ुसूर न दिल का क़ुसूर था आया जो मेरे सामने मेरा ग़ुरूर …
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इन्सान के बस का काम नहीं फ़ैज़ान ए मोहब्बत आम …
बड़ी क़दीम रिवायत है ये सताने की करो कुछ और ही तदबीर आज़माने की, कभी …
जिसे तुम प्यार समझे थे वो कारोबार था हमदम यहाँ सब अपने मतलब में मुहब्बत …
पास आओ कि एक इल्तज़ा सुन लो हाँ प्यार है तुमसे बेपनाह सुन लो, एक …
मालूम है इस दुनियाँ में मशहूर नहीं है ये गाँव तेरे दिल से तो अब …
माना कि अब तुम्हारा दिल भर गया होगा हमसे ना सही, प्यार कही और हो …