नूर ए नज़र, चाँद, और आफ़ताब है बच्चे

नूर ए नज़र, चाँद, और आफ़ताब है बच्चे
रौशन चेहरे लिए खुली क़िताब है बच्चे,

स्कूल की यूनिफार्म में सज कर निकलते है
तो ऐसा लगता है खिलता गुलाब है बच्चे,

गंगा, जमुना,सतलज सरीखे कितने नायाब है
सच कहूँ तो रावी, झेलम, चिनाब है बच्चे,

अपनी मासूमियत और मस्ती की राजधानी में
फ़रेब से दूर मन मर्ज़ी के नबाब है बच्चे,

छोटी छोटी खुशियाँ पर जब ये खिलखिलाते है
ऐसा लगता है मधुर धुन ए रबाब है बच्चे,

नफरती दुनियाँ में किस किस ने फ़रिश्ते देखे है ?
कितना सही और उम्दा जवाब है बच्चे..!!

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