अब नहीं करता किसी पर भी भरोसा कोई

इससे पहले कि कोई इनको चुरा ले, गिन लो
तुमने जो दर्द किये मेरे हवाले, गिन लो

चल के आया हूँ, उठा कर नहीं लाया गया मैं
कोई शक है तो मेरे पाँव के छाले गिन लो

जब मैं आया तो अकेला था, गिना था तुमने
आज हर सिम्त मेरे चाहने वाले गिन लो

मकड़ियो ! घर की सफाई का समय आ पहुँचा
आख़िरी बार दर ओ बाम के जाले गिन लो

ज़ख्म गिनने है अगर मेरे बदन के याराँ !
तुमने जो संग मेरी सिम्त उछाले गिन लो

ख़ुद ही फिर फ़ैसला करना कि अभी दिन है कि रात
शौक से गिन लो अँधेरे, फिर उजाले गिन लो

अब नहीं करता किसी पर भी भरोसा कोई
गर नहीं मुझ पे यकीं, शहर में ताले गिन लो..!!

Leave a Reply

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: