मुस्कुरा कर चलो खिलखिला कर चलो

मुस्कुरा कर चलो खिलखिला कर चलो
दिल किसी का मगर ना दुखा कर चलो,

जिसकी ख़ुशबू जहाँ में हमेशा रहे
फूल ऐसा चमन में खिला कर चलो,

जिस से सारे जहाँ में उजाला रहे
दीप ऐसा कोई एक जला कर चलो,

क़ामयाबी फक़त रब के हाथों में है
तुम वसीलों बस आज़मा कर चलो,

बंद आँखों से तुम पर करें सब यक़ीं
अपना ऐसा भरोसा बना कर चलो,

ज़िन्दगी ख़ूबसूरत लगेगी तुम्हें
रंजिशें अपने दिल से भूला कर चलो,

सरहदें नफ़रतों की मिटा कर सभी
रास्ते पुर अमन के बना कर चलो,

हो गए है मुक़ल्लिद जो शैतान के
उन से राहें तुम अपनी जुदा कर चलो,

जिसने हर शय से है तुमको नवाज़ा यहाँ
राह में सब उसी की लुटा कर चलो..!!

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