मशअल ए दर्द फिर एक बार जला ली

मशअल ए दर्द फिर एक बार जला ली जाए
जश्न हो जाए ज़रा धूम मचा ली जाए,

ख़ून में जोश नहीं आया ज़माना गुज़रा
दोस्तो आओ कोई बात निकाली जाए,

जान भी मेरी चली जाए तो कुछ बात नहीं
वार तेरा न मगर एक भी ख़ाली जाए,

जो भी मिलना है तेरे दर ही से मिलना है उसे
दर तेरा छोड़ के कैसे ये सवाली जाए ?

वस्ल की सुब्ह के होने में है कुछ देर अभी
दास्ताँ हिज्र की कुछ और बढ़ा ली जाए..!!

~शहरयार

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