मगरूर परिंदों को ये ऐलान गया है
सय्याद नशेमन का पता जान गया है,
यानि जिसे दीमक लगी जाती थी वो मैं था
अब आ के मेरा मेरी तरफ ध्यान गया है,
शीशे में भले उसने मेरी नक़ल उतारी
ख़ुश हूँ कि मुझे कोई तो पहचान गया है,
अब बात तेरी कुन पर है कुछ कर मेरे मौला
एक शख्स तेरे दर से परेशान गया है,
ये नाम ओ नसब जा के ज़माने को बताओ
दरवेश तो दस्तक से ही पहचान गया है..!!