लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से,
हाए उस वक़्त को कोसूँ कि दुआ दूँ यारो
जिस ने हर दर्द मेंरा छीन लिया है मुझ से,
दिल का ये हाल कि धड़के ही चला जाता है
ऐसा लगता है कोई जुर्म हुआ है मुझ से,
खो गया आज कहाँ रिज़्क़ का देने वाला
कोई रोटी जो खड़ा माँग रहा है मुझ से,
अब मेंरे क़त्ल की तदबीर तो करनी होगी
कौन सा राज़ है तेरा जो छुपा है मुझ से..!!
~जाँ निसार अख़्तर