आख़िर वो मेरे क़द की भी हद…

आख़िर वो मेरे क़द की भी हद से गुज़र गया
कल शाम में तो अपने ही साये से डर गया,

मुठ्ठी में बंद किया हवा बच्चो के खेल में
जुगनू के साथ उसका उजाला भी मर गया,

कुछ ही बरस के बाद तो उससे मिला था मैं
देखा जो मेरा अक्स तो आईना डर गया,

ऐसा नहीं कि गम ने बढ़ा ली हो अपनी उम्र
मौसम ख़ुशी का वक़्त से पहले गुज़र गया,

लिखना मेरे मज़ार के कुतबे पे ये हरूफ़
मरहूम ज़िन्दगी की हिरासत में मर गया..!!

~क़तील शिफ़ाई

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women