कुछ देर का है रोना, कुछ देर की हँसी है
कहीं ठहरती नहीं इसी का नाम ज़िन्दगी है,
कुछ देर का है मिलना, कुछ देर का बिछड़ना
कुछ पल की धूप है तो कुछ पल की चाँदनी है,
कहीं जान हो ज़रूरी तो क्यूँ वक़्त से न पहुंचे ?
जो काम है हमारे वही तो असली बंदगी है,
इन्सान को ये चाहिए हर पल को खुल के जिए
जो भी ख़ुदा ने बख्शा समझो कि मेहर की है,
मुझे इस ज़िन्दगी से कोई शिकवा गिला नहीं है
मुझे भी मिला था मौका, मैंने ही देर की है..!!