किस की तलाश है किस के असर में हैं
जब से चले हैं घर से मुसलसल सफ़र में हैं,
सारे तमाशे ख़त्म हुए सब लोग जा चुके
एक हम ही रह गए जो फ़रेब ए सहर में हैं,
ऐसी तो कोई ख़ास ख़ता भी नहीं हुई हमसे
हाँ ये समझ लिया था कि हम अपने घर में हैं,
अब के बहार देखिए क्या नक़्श छोड़ जाए
ना आसार बादलों के न पत्ते हरे शजर में हैं,
तुझ से बिछड़ना कोई नया हादसा तो नहीं
ऐसे हज़ारों क़िस्से अबतक हमारी ख़बर में हैं..!!