ख़्वाबो को मेरे प्यार की ताबीर बख्श दे
दिल को मेरे इश्क़ की ज़ागीर बख्श दे,
कब से ज़ेर ए खिज़ा है ये मेरी ज़िन्दगी
अब मौसम ए बहार को तौक़ीर बक्श दे,
फ़ैली हुई है आँख में जो शाम ए ज़िन्दगी
उस दास्ताँ ए इश्क़ को तनवीर बख्श दे,
मैं थक गया हूँ इश्क़ में आँखों से बोलते
अब तो लबो को प्यार की तहरीर बख्श दे,
बारिश की बूँद बूँद से लिपटी है उसकी याद
यादों के गुलिस्ताँ की तस्वीर बख्श दे,
भटका सके न कोई भी मंज़िल से ऐ ख़ुदा
मेरे गुमाँ को नवाब की तक़दीर बख्श दे..!!