काँटो की चुभन पे फूलो का मज़ा भी
दिल दर्द के मौसम में रोया भी हँसा भी,
आने का सबब याद न जाने की ख़बर है
वो दिल में रहा और उसे तोड़ गया भी,
हर एक से मंज़िल का पता पूछ रहा है
गुमराह मेरे साथ हुआ रहनुमा भी,
दोस्तों कभी अपनों से जो गम हुए हासिल
कुछ याद रहा उनमे कुछ भूल गया भी..!!