जुदाई रूह को जब इश्तिआल देती है

जुदाई रूह को जब इश्तिआल देती है
ख़ुनुक हवा भी बदन को उबाल देती है,

अगर हो वक़्त का एहसास ज़िंदगानी में
हर एक साँस हमें एक सवाल देती है,

उसी के दम से तो यादों के ज़ख़्म ताज़ा हैं
यही सबा है जो हर घर का हाल देती है,

फ़ज़ा में रंग तेरी ख़ुशबुओं को फैला के
दुखे दिलों को सबा भी मलाल देती है,

रक़ाबतों के सबब से जो धुंध छा जाए
तेरी निगाह वो मंज़र खँगाल देती है,

कुदाल पहली चला कर रिवायतों पे नज़र
किया वो काम कि दुनिया मिसाल देती है..!!

~जमील नज़र

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