इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते
अपने हाथो से ज़िगर चाक हमारा करते,
हमको तो दर्द ए जुदाई से ही मर जाना था
चंद रोज़ और न क़ातिल को इशारा करते,
ले के जाते न अगर साथ वो यादे अपनी
याद करते उन्हें और वक़्त गुज़ारा करते,
ज़िन्दगी मिलती जो सौ बार हमें दुनियाँ में
हम तो हर बार इसे आप पे वारा करते,
जोश धुंधलाता न हरगिज़ ये मेरा शीशा ए दिल
गर्द उसकी जो वो अगर रोज़ उतारा करते..!!
~ए जी जोश