मैं अक्सर भूल जाता हूँ….
कहाँ ख़ामोश रहना था
कहाँ शिकवा न करना था
कहाँ ज़ुमला न कसना था
कहाँ हरगिज़ न हँसना था
कहाँ न सर उठाना था
कहाँ गुस्सा दबाना था
कहाँ रिश्ता बचाना था
कहाँ पे हार जाना था
कहाँ बस मुस्कुराना था
कहाँ सब भूल जाना था
कहाँ नज़रे झुकाना था
कहाँ सोचे छुपानी थी
कहाँ पर माफ़ करना था
कहाँ दिल साफ़ रखना था
कहाँ न ज़िद्द लगानी थी
कहाँ चाहत दिखानी थी
कहाँ हिम्मत बढ़ानी थी
कहाँ नेकी कमानी थी
वक़्त जब बीत जाता है
मुझे सब याद आता है
हर एक लम्हा, हर एक चेहरा
सबक़ एक दे कर जाता है
मगर मैं क्या करूँ अपना ?
मैं कुँजी सब्र की रख के
कही पर भूल जाता हूँ
मैं अक्सर भूल जाता हूँ..!!