हर चमकती क़ुर्बत में एक फ़ासला देखूँ

हर चमकती क़ुर्बत में एक फ़ासला देखूँ
कौन आने वाला है किस का रास्ता देखूँ ?

शाम का धुँदलका है या उदास ममता है
भूली बिसरी यादों से फूटती दुआ देखूँ,

मस्जिदों में सज्दों की मिशअलें हुईं रौशन
बेचराग़ गलियों में खेलता ख़ुदा देखूँ,

लहर लहर पानी में डूबता हुआ सूरज
कौन मुझ में दर आया उठ के आइना देखूँ,

लहलहाते मौसम में तेरा ज़िक्र ए शादाबी
शाख़ शाख़ पर तेरे नाम को हरा देखूँ..!!

~निदा फ़ाज़ली

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