हमने कैसे यहाँ गुज़ारी है….

हमने कैसे यहाँ गुज़ारी है
अश्क खुनी है आह ज़ारी है,

हम ही पागल थे जान दे बैठे
उनको तो ज़िन्दगी प्यारी है,

मुस्कुराना तो मेरी फ़ितरत है
खून ए दिल खिलवतो में ज़ारी है,

रास्ते बंद कर दे ये सब का
दिल को उसकी गली भी प्यारी है,

बाक़ी दुनिया के गम भी, गम होंगे
तेरी फुर्क़त, सभी पे भारी है,

क़त्ल ए दिल को ज़माने बीत गए
कैसी अब तक ये बेक़रारी है ?

उसने देखा था मुझको परदे से
वो नशा, आज तक भी तारी है..!!

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