घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है ?

भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारिन सी
ये सुबह ए फ़रवरी बीमार पत्नी से भी पीली है,

बग़ावत के कमल खिलते है दिल के सूखे दरिया में
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चो की पनीली है,

सुलगते ज़िस्म की गर्मी का फिर एहसास कैसे हो ?
मुहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है..!!

~अदम गोंडवी

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