गर्म रफ़्तार है तेरी ये पता देते हैं
दम बदम लौ तेरे नक़्श ए कफ़ ए पा देते हैं,
हिज्र से करते हैं नाशाद हमें वस्ल से शाद
ख़ुद मरज़ देते हैं और आप शिफ़ा देते हैं,
दिल की तुम बात समझते हो ज़बाँ गो न हिले
ख़ूब सुनते हो जो चुपके से सदा देते हैं,
कम न समझें मेरी आहों के शरारों को हुज़ूर
आग अभी सारे ज़माने में लगा देते हैं,
तुमने एहसान किया है कि नमक छिड़का है
अब मुझे ज़ख़्म ए जिगर और मज़ा देते हैं,
उन की तक़दीर में है मेरे लहू में भरना
ख़ून की बू तेरे दामान ए क़बा देते हैं,
साफ़ करते हैं अभी ग़ैर ये वो तेग़ ए अदा
दोस्त आ के मुझे पैग़ाम ए क़ज़ा देते हैं,
जागो ऐ मुम्लिकत ए इश्क़ के सोने वालो
शब को दरबान ए दर ए यार सदा देते हैं,
जितने शाइ’र हैं उन्हों ने हमें इज़्ज़त दी है
हम ‘रशीद’ उन को शब ओ रोज़ दुआ देते हैं..!!
~रशीद लखनवी