फिरते हैं जिस के वास्ते हम दर ब दर अभी
क्या कीजिए नहीं है उसे कुछ ख़बर अभी,
कह दें जो कुछ कि दिल में है अपने अगर अभी
शर्मा के धर न देंगे वो काँधे पे सर अभी,
थामे हुए हैं हाथों से अपना जिगर सभी
सुनते हैं आएगा वो हसीं बाम पर अभी,
छेड़ा है उस की ज़ुल्फ़ को बाद ए सबा ने कुछ
आएगी रफ़्ता रफ़्ता वो सू ए कमर अभी,
यारों को उन के मिल भी गई मंज़िल ए मुराद
अकब कि बाँध पाए न रख़्त ए सफ़र अभी..!!
~अकबर अज़ीमाबादी